Saturday, November 16, 2019

बाबा रामदेव ने कहा- "पेरियार को मानने वाले या मूलनिवासी कांसेप्ट वाले वैचारिक आतंकवादी"

बाबा रामदेव ने कहा-
"पेरियार को मानने वाले या मूलनिवासी कांसेप्ट वाले वैचारिक आतंकवादी"......

By Babu Gautam


बाबा रामदेव जी जो हरियाणा के अहीर हैं पर सनातन पंथ के प्रचारक व धर्म एवं योग की आड़ में एक बहुत बड़े नान टैक्सपेयी ब्यापारी,जिनका कहना है कि पेरियार को मानने वाले,नास्तिकता की विचारधारा वाले,अम्बेडकर वादी एवं मूलनिवासी कांसेप्ट वाले पूरी तरह से "वैचारिक आतंकवादी" हैं।
वैचारिक लोगो से बाबा रामदेव जी को बहुत कठिनाई है।दरअसल जो वैचारिक हो जाएगा वह रामदेव जी जैसों की दुकान कहाँ चलने देगा?विचार में वो ताकत है जो बड़े-बड़े आततायियों को भी अंगुलिमाल से सज्जन बना देता है।डकैत की डकैती बन्द न होने पाए,मुफ्तखोर की मुफ्तखोरी चलती रहे इसके लिए जरूरी है कि समाज बुद्धिहीन बना रहे।
चीन समुन्नत है तो नास्तिक विचारधारा बलजोर है,अमेरिका में अभी हुये सर्वेनुसार नास्तिकों या अनीश्वरवादियों की संख्या 2009 के मुकाबले 17 फीसद से बढ़कर 26 फीसद हो गया है लेकिन यहां आस्तिकों को इनसे कोई परेशानी नही है क्योकि यहां धर्म के नाम पर मुफ्त मलपूवा काटने का इंतजाम नही है इसलिए आस्तिक रहिए या नास्तिक कोई फर्क नही पड़ता पर भारत मे आस्तिकता के नाते एक पूरा बाजार डेवलप है जिसमे बिना पूंजी लगाए पुरोहित अरबों-खरबो में खेलता है जबकि श्रम करने वाला ईश्वर के नाम पर अपनी गाढ़ी कमाई अर्पित कर आता है।ऐसे में यदि कोई पेरियार वादी हो जाएगा तो उनका भट्ठा तो बैठना ही जो धर्म को ब्यापार बनाये हुये है।
बाबा रामदेव जो बचपन मे अहीर होने के नाते अपमानित हुये जिसे उन्होंने स्वयं पर बनी फिल्म में खुद ही स्वीकारा है का यह कथन कि नास्तिकता या अम्बेडकरवाद या बामसेफी विचारधारा बौद्धिक आतंकवाद है उनके वाह्य अंगों पर चढ़े भगवा रंग का असर है।
आज जब वेद,पुराण,रामायण सहित तार्किक साहित्य पढ़कर इस देश का उच्च शिक्षा ले रहा बहुजन नौजवान इस मनुवादी प्रपंच से निकलने को आंदोलित व उद्वेलित है तो मनुवादी लोग इन बहुजनो के कुल-परम्परा के लोगो को भिन्न-भिन्न क्षेत्रो में खड़ा कर अपने शोषक प्रबृत्ति को पुनर्जीवित रखने हेतु हर तरीके से प्रयासरत हैं।ये बहुजन समाज के विभीषण अपनी स्वामिभक्ति से मनुवाद को गुणकारी सिद्ध करने हेतु किसी सीमा तक चले जा रहे हैं जिसका एक।ज्वलंत उदाहरण बाबा रामदेव जी हैं।
बाबा रामदेव के बोल सुन मुझे अफसोस हो रहा है कि बाबा रामदेव कैसे अहीर कुल में जन्म ले लिए?जिस व्यक्ति को खुद के अपमान से सीख न मिली हो या जिसमे वर्गीय चेतना न हो उस व्यक्ति का क्या कहना?
मेरी समझ से बाबा रामदेव को हिंदुपरस्त दिखने से यह लाभ है कि उनके पिछड़ा/अहीर होने से उनके साथ जो जातिगत भेदभाव होता वह स्पष्ट रूप में नही दिखता है।

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