Sunday, November 17, 2019

मंदिर में दान कर दी जाती थी कुंआरी लड़कियां, ऐसे बनाई जाती थी देवदासी

मंदिर में दान कर दी जाती थी कुंआरी लड़कियां, ऐसे बनाई जाती थी देवदासी


उन्हें जीवनभर इसी तरह रहना पड़ता था। कहते हैं कि इस दौरान उनका शारीरिक शोषण किया जाता था


मुंबई. देवदासी प्रथा यूं तो भारत में हजारों साल पुरानी है, पर वक्त के साथ इसका मूल रूप बदलता गया। कानूनी तौर पर रोक के बावजूद कई इलाकों में इसके जारी रहने की खबरें आती ही रहती हैं। हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्यों को एक आदेश जारी कर इसे पूरी तरह रोकने को कहा है। जानिए आखिर क्या है ये प्रथा.... मशहूर बॉलीवुड सिंगर भी थीं इस कम्युनिटी से - माना जाता है कि ये प्रथा छठी सदी में शुरू हुई थी।
- इस प्रथा के तहत कुंवारीलड़कियों को धर्म के नाम पर ईश्वर के साथ ब्याह कराकर मंदिरों को दान कर दिया जाता था। - माता-पिता अपनी बेटी का विवाह देवता या मंदिर के साथ कर देते थे।
- परिवारों द्वारा कोई मुराद पूरी होने के बाद ऐसा किया जाता था।
- देवता से ब्याही इन महिलाओं को ही देवदासी कहा जाता है।
- उन्हें जीवनभर इसी तरह रहना पड़ता था। कहते हैं कि इस दौरान उनका सेक्शुअल हैरेसमेंट भी किया जाता था।
- मत्स्य पुराण, विष्णु पुराण तथा कौटिल्य के अर्थशास्त्र में भी देवदासी प्रथा का उल्लेख मिलता है। - साउथ इंडिया की मशहूर क्लासिकल सिंगर एम. एस सुब्बुलक्ष्मी भी देवदासी कम्युनिटी से थी। उनकी मां वीणा वादक थीं, वहीं दादी वायनलिस्ट थीं। (चर्चा क्यों- आज वुमन्स डे के मौके पर historyindiatime.com आपको बता रहा है देवदासी प्रथा के बारे में, जो आज भी भारत के कई इलाकों में चली आ रही है। यह महिलाओं के शोषण की एक आदिम प्रथा है। ) कालिदास ने मेघदूतम में किया है जिक्र देवदासी यानी 'सर्वेंट ऑफ़ गॉड'। देवदासियां मंदिरों की देख-रेख, पूजा-पाठ की तैयारी, मंदिरों में नृत्य आदि के लिए थीं। कालिदास के 'मेघदूतम्' में मंदिरों में नृत्य करने वाली आजीवन कुंवारी कन्याओं की चर्चा की है। संभवत: इन्हें देवदासियां ही माना जाता है। लिखी जा चुकी हैं कई किताबें देवदासियों के बारे में देश-विदेश के इतिहासकारों ने कई किताबें लिखी हैं। एनके. बसु की पुस्तक 'हिस्ट्री ऑफ प्रॉस्टिट्यूशन इन इंडिया', एफए मार्गलीन की किताब 'वाइव्स ऑफ द किंग गॉड, रिचुअल्स ऑफ देवदासी', मोतीचंद्रा की 'स्टडीज इन द कल्ट ऑफ मदर गॉडेस इन एन्शियंट इंडिया', बीडी सात्सोकर की 'हिस्ट्री ऑफ देवदासी सिस्टम' में इस प्रथा के बारे में विस्तार से बताया गया है। जेम्स जे फ्रेजर की किताब 'द गोल्डन बो' में भी इस प्रथा के बारे में विस्तार से लिखा गया है। 

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